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उ॒त ब्र॑ह्माणो मरुतो मे अ॒स्येन्द्रः॒ सोम॑स्य॒ सुषु॑तस्य पेयाः। तद्धि ह॒व्यं मनु॑षे॒ गा अवि॑न्द॒दह॒न्नहिं॑ पपि॒वाँ इन्द्रो॑ अस्य ॥३॥

English Transliteration

uta brahmāṇo maruto me asyendraḥ somasya suṣutasya peyāḥ | tad dhi havyam manuṣe gā avindad ahann ahim papivām̐ indro asya ||

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Pad Path

उ॒त। ब्र॒ह्मा॒णः॒। म॒रु॒तः॒। मे॒। अ॒स्य॒। इन्द्रः॑। सोम॑स्य। सुऽसु॑तस्य। पे॒याः॒। तत्। हि। ह॒व्यम्। मनु॑षे। गाः। अवि॑न्दत्। अह॑न्। अहि॑म्। प॒पि॒ऽवान्। इन्द्रः॑। अ॒स्य॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:5» Sukta:29» Mantra:3 | Ashtak:4» Adhyay:1» Varga:23» Mantra:3 | Mandal:5» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - जिस प्रकार (इन्द्रः) सूर्य्य रस को पीता है, वैसे हे राजन् (इन्द्रः) प्रकाशमान ! आप (मे) मेरे (अस्य) और इसके भी (तत्, हि) उसी (सुषुतस्य) अच्छे प्रकार श्रेष्ठ बनाये (सोमस्य) ऐश्वर्य्यकारक पदार्थ के (हव्यम्) खाने योग्य भाग को (पेया) पीजिये जिससे (मनुषे) मनुष्यमात्र के लिये आप (गाः) गौ वा उत्तम वाणियों को (अविन्दत्) प्राप्त हों और जैसे (पपिवान्) भूमिस्थजलादि को पान करनेवाला सूर्य्य (अहिम्) मेघ का (अहन्) नाश करता है, वैसे आप (अस्य) इस राज्य के पालन को करिये (उत) इसी प्रकार हे (ब्रह्माणः) चार वेदों के जाननेवाले (मरुतः) मनुष्यो ! तुम लोग भी आचरण करो ॥३॥
Connotation: - जो मनुष्य सब वेदों को पढ़कर नहीं खाने और नहीं पीने योग्य वस्तु का वर्ज्जन करके न्यायाधीश के सदृश न्याय और सूर्य्य के सदृश सत्य और असत्य का प्रकाश करते हैं, वे महाशय होते हैं ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

यथेन्द्रः सूर्यो रसं पिबति तथा हे राजन् इन्द्रस्त्वं मेऽस्य च तद्धि सुषुतस्य हव्यं पेया येन मनुषे भवान् गा अविन्दद् यथा पपिवानहिमहँस्तथा भवानस्य राज्यस्य पालनं कुर्य्यादुत ब्रह्माणो मरुतो यूयमप्याचरत ॥३॥

Word-Meaning: - (उत) अपि (ब्रह्माणः) चतुर्वेदविदः (मरुतः) मनुष्याः (मे) मम (अस्य) (इन्द्रः) राजमानः (सोमस्य) ऐश्वर्य्यकारकस्य (सुषुतस्य) सुष्ठुतया साधुकृतस्य (पेयाः) पिबेः (तत्) (हि) किल (हव्यम्) अत्तुमर्हम् (मनुषे) जनाय (गाः) (अविन्दत्) लभेत (अहन्) हन्ति (अहिम्) मेघम् (पपिवान्) पानकरः सूर्यः (इन्द्रः) सूर्यः (अस्य) राष्ट्रस्य ॥३॥
Connotation: - ये मनुष्याः सर्वान् वेदानधीत्याऽभक्ष्याऽपेयं वर्जयित्वा न्यायाधीशवन्न्यायं सूर्य्यवत्सत्यासत्यप्रकाशं कुर्वन्ति ते महाशया भवन्ति ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे वेदाचे अध्ययन करून अखाद्य व अपेय वस्तूंचा त्याग करतात व न्यायाधीश आणि सूर्याप्रमाणे सत्य व असत्य प्रकट करतात ती महान असतात. ॥ ३ ॥